जैसी हो वैसी ही आ जाओ
सिंगार को रहने दो
बाल अगर बिखरे हैं
सीधी माँग नहीं निकली
बाँधे नही अंगिया के फ़ीते
तो भी कोई बात नही
जैसी हो वैसी ही आ जाओ
सिंगार को रहने दो
ओस से भीगी मिट्टी में
पाँव अगर सन जायें तो
घुंघरू गिर जाये पायल से
तो भी कोई बात नही
जैसी हो वैसी ही आ जाओ
सिंगार को रहने दो
#गुलज़ार साहब
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