संदेश

नशीली है नज़र उनकी नज़रिया भी शराबी है

तो आँखों से अश्क़ों की बरसात होगी

मै कब कहता हूँ वो अच्छा बहुत है

जैसी हो वैसी ही आ जाओ सिंगार को रहने दो

ख़ुद पर इक एहसान करें सपनों का सम्मान करें

सब पूछ रहें हैं तेरा-मेरा क्या है रिश्ता ,

महफिल से उठकर तो कब के चले गये थे वो,

तुझसे मेरी बात हुई

दिल को अब यूँ...

ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा

वह हंस कर के उनका जादू बिखेरना

ज़िंदगी से बड़ी सज़ा ही नहीं , और क्या जुर्म है पता ही नहीं ।

गए मौसम में जो खिलते थे गुलाबों की तरह

कितनी बार बोला है तुम्हें मत आया करो मेरे ख्वाबों में,

जान लेती नहीं जीना मुहाल कर दिया

मेरा ख्वाब मेरा ख्याल तुम ..

तुम आओ तो जरा बता देना

शुरू जो प्यार का ये सिलसिला नहीं होता ..

वो अपनी ही कही बात से...पलट गया।

खुली आँखों में सपना झाँकता है !

तिनको का आशियाँ था, पल में उजड़ गया

ऐ इश्क न छेड़ आ आ के हमें

गिड़गिड़ाए नही, हाँ हम्दों सना से माँगी - मुनव्वर राना

इश्क़ दिल में हो.. और....

क्या दुःख है, समंदर को बता भी नहीं सकता - वसीम बरेलवी