संदेश

है बोझ ज़िंदगी सिर से उतर जाने दो

दिल के टुकड़े मजबूर करते है कलम चलाने को वरना

मै रौशनी की तलाश मे कुछ.....

बस चन्द करोड़ों सालों में सूरज की आग बुझेगी जब

जब भी इस शहर में कमरे से मैं बाहर निकला मेरे स्वागत को हर इक जेब से ख़ंजर निकला l

अभी मोहब्बत नई-नई है!

कौन आएगा यहाँ कोई न आया होगा मेरा दरवाज़ा हवाओं ने हिलाया होगा

बहुत पानी बरसता है तो मिट्टी बैठ जाती है ,

जो ऋतुओं की तक़दीर बदलते हैं वे कुछ-कुछ मिलते हैं वीरानों से

कभी यूँ मिलें कोई मसलेहत, कोई ख़ौफ़ दिल में ज़रा न हो,

ज़िन्दगी से यही गिला है मुझे तू बहुत देर से मिला है मुझे,

मैं दुखी जब-जब हुआ संवेदना तुमने दिखाई,

कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते रहे।

सदमा तो है मुझे भी कि तुझसे जुदा हूँ मैं

अंगड़ाई पर अंगड़ाई लेती है रात जुदाई की

लिख दिया अपने दर पे किसी ने, इस जगह प्यार करना मना है

💞💞The Sufi Master Rumi words about LOVE 💞💞

दिल की ये आरजू थी कोई दिलरुबा मिले

मै नज़र से पी रहा हूँ ये समा बदल न जाए

इक हुनर था कमाल था क्या था?

कबीर

कोई सुबूत न होगा तुम्हारे होने का

टुकड़ों में बिखरा हुआ किसी का जिगर दिखाएँगे

मिला वो🌹 भी नही करते,

इश्क बेचैन ख्यालों को

*_🌹🍃__दौर-ऐ-गज़ल__🍃🌹*

मैं रह कर खामोश भी बोलता रहा।

तमाशा !

‼👌 *अर्थ बड़े गहरे हैं*👌‼

आहिस्ता  चल  जिंदगी,अभी