जब भी इस शहर में कमरे से मैं बाहर निकला मेरे स्वागत को हर इक जेब से ख़ंजर निकला l अगस्त 30, 2018 कमरे ख़ंजर बाहर शहर स्वागत +
कौन आएगा यहाँ कोई न आया होगा मेरा दरवाज़ा हवाओं ने हिलाया होगा अगस्त 28, 2018 होगा आएगा कौन हवाओं हिलाया +
जो ऋतुओं की तक़दीर बदलते हैं वे कुछ-कुछ मिलते हैं वीरानों से अगस्त 26, 2018 ऋतुओं तक़दीर बदलते मिलते वीरानों +
ज़िन्दगी से यही गिला है मुझे तू बहुत देर से मिला है मुझे, अगस्त 25, 2018 #ज़िन्दगी #से #यही #गिला #है +
मैं दुखी जब-जब हुआ संवेदना तुमने दिखाई, अगस्त 24, 2018 #मैं #दुखी #जब-जब #हुआ #संवेदना #तुमने #दिखाई +